Text copied!
CopyCompare
पवित्र बाइबिल - लूका - लूका 19

लूका 19:32-39

Help us?
Click on verse(s) to share them!
32जो भेजे गए थे, उन्होंने जाकर जैसा उसने उनसे कहा था, वैसा ही पाया।
33जब वे गदहे के बच्चे को खोल रहे थे, तो उसके मालिकों ने उनसे पूछा, “इस बच्चे को क्यों खोलते हो?”
34उन्होंने कहा, “प्रभु को इसकी जरूरत है।”
35वे उसको यीशु के पास ले आए और अपने कपड़े उस बच्चे पर डालकर यीशु को उस पर बैठा दिया।
36जब वह जा रहा था, तो वे अपने कपड़े मार्ग में बिछाते जाते थे। (2 राजा. 9:13)
37और निकट आते हुए जब वह जैतून पहाड़ की ढलान पर पहुँचा, तो चेलों की सारी मण्डली उन सब सामर्थ्य के कामों के कारण जो उन्होंने देखे थे, आनन्दित होकर बड़े शब्द से परमेश्‍वर की स्तुति करने लगी: (जक. 9:9)
38“धन्य है वह राजा, जो प्रभु के नाम से आता है! स्वर्ग में शान्ति और आकाश में महिमा हो!” (भज. 72:18-19, भज. 118:26)
39तब भीड़ में से कितने फरीसी उससे कहने लगे, “हे गुरु, अपने चेलों को डाँट।”

Read लूका 19लूका 19
Compare लूका 19:32-39लूका 19:32-39