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पवित्र बाइबिल - लूका - लूका 1

लूका 1:55-75

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55जो अब्राहम और उसके वंश पर सदा रहेगी, जैसा उसने हमारे पूर्वजों से कहा था।” (उत्प. 22:17, मीका 7:20)
56मरियम लगभग तीन महीने उसके साथ रहकर अपने घर लौट गई।
57तब एलीशिबा के जनने का समय पूरा हुआ, और वह पुत्र जनी।
58उसके पड़ोसियों और कुटुम्बियों ने यह सुन कर, कि प्रभु ने उस पर बड़ी दया की है, उसके साथ आनन्दित हुए।
59और ऐसा हुआ कि आठवें दिन वे बालक का खतना करने आए और उसका नाम उसके पिता के नाम पर जकर्याह रखने लगे। (उत्प. 17:12, लैव्य. 12:3)
60और उसकी माता ने उत्तर दिया, “नहीं; वरन् उसका नाम यूहन्ना रखा जाए।”
61और उन्होंने उससे कहा, “तेरे कुटुम्ब में किसी का यह नाम नहीं।”
62तब उन्होंने उसके पिता से संकेत करके पूछा कि तू उसका नाम क्या रखना चाहता है?
63और उसने लिखने की पट्टी मंगाकर लिख दिया, “उसका नाम यूहन्ना है,” और सभी ने अचम्भा किया।
64तब उसका मुँह और जीभ तुरन्त खुल गई; और वह बोलने और परमेश्‍वर की स्तुति करने लगा।
65और उसके आस-पास के सब रहनेवालों पर भय छा गया; और उन सब बातों की चर्चा यहूदिया के सारे पहाड़ी देश में फैल गई।
66और सब सुननेवालों ने अपने-अपने मन में विचार करके कहा, “यह बालक कैसा होगा?” क्योंकि प्रभु का हाथ उसके साथ था।
67और उसका पिता जकर्याह पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो गया, और भविष्यद्वाणी करने लगा।
68“प्रभु इस्राएल का परमेश्‍वर धन्य हो, कि उसने अपने लोगों पर दृष्टि की और उनका छुटकारा किया है, (भज. 111:9, भज. 41:13)
69और अपने सेवक दाऊद के घराने में हमारे लिये एक उद्धार का सींग* निकाला, (भज. 132:17, यिर्म. 30:9)
70जैसे उसने अपने पवित्र भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा जो जगत के आदि से होते आए हैं, कहा था,
71अर्थात् हमारे शत्रुओं से, और हमारे सब बैरियों के हाथ से हमारा उद्धार किया है; (भज. 106:10)
72कि हमारे पूर्वजों पर दया करके अपनी पवित्र वाचा का स्मरण करे,
73और वह शपथ जो उसने हमारे पिता अब्राहम से खाई थी, (उत्प. 17:7, भज. 105:8-9)
74कि वह हमें यह देगा, कि हम अपने शत्रुओं के हाथ से छूटकर,
75उसके सामने पवित्रता और धार्मिकता से जीवन भर निडर रहकर उसकी सेवा करते रहें।

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