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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019 - लूका - लूका 18

लूका 18:25-35

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25क्यूँकि ऊँट का सूई के नाके में से निकल जाना इससे आसान है, कि दौलतमन्द ख़ुदा की बादशाही में दाख़िल हो।”
26सुनने वालो ने कहा, तो फिर कौन नजात पा सकता है?
27उसने कहा, “जो इंसान से नहीं हो सकता, वो ख़ुदा से हो सकता है।”
28पतरस ने कहा, देख! हम तो अपना घर — बार छोड़कर तेरे पीछे हो लिए हैं।”
29उसने उनसे कहा, “'मैं तुम से सच कहता हूँ, कि ऐसा कोई नहीं जिसने घर या बीवी या भाइयों या माँ बाप या बच्चों को ख़ुदा की बादशाही की ख़ातिर छोड़ दिया हो;
30और इस ज़माने में कई गुना ज़्यादा न पाए, और आने वाले 'आलम में हमेशा की ज़िन्दगी।”
31फिर उसने उन बारह को साथ लेकर उनसे कहा, “देखो, हम येरूशलेम को जाते हैं, और जितनी बातें नबियों के ज़रिए लिखी गईं हैं, इब्न — ए — आदम के हक़ में पूरी होंगी।
32क्यूँकि वो ग़ैर क़ौम वालों के हवाले किया जाएगा; और लोग उसको ठठ्ठों में उड़ाएँगे और बे'इज़्ज़त करेंगे, और उस पर थूकेंगे,
33और उसको कोड़े मारेंगे और क़त्ल करेंगे और वो तीसरे दिन जी उठेगा।”
34लेकिन उन्होंने इनमें से कोई बात न समझी, और ये कलाम उन पर छिपा रहा और इन बातों का मतलब उनकी समझ में न आया।
35जो वो चलते — चलते यरीहू के नज़दीक पहुँचा, तो ऐसा हुआ कि एक अन्धा रास्ते के किनारे बैठा हुआ भीख माँग रहा था।

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