32इसलिए कि ख़ुदा ने सब को नाफ़रमानी में गिरफ़्तार होने दिया ताकि सब पर रहम फ़रमाए।
33वाह! ख़ुदा की दौलत और हिक्मत और इल्म क्या ही अज़ीम है उसके फ़ैसले किस क़दर पहुँच से बाहर हैं और उसकी राहें क्या ही बे'निशान हैं।
34ख़ुदावन्द की अक़्ल को किसने जाना? या कौन उसका सलाहकार हुआ?
35या किसने पहले उसे कुछ दिया है, जिसका बदला उसे दिया जाए?
36क्यूँकि उसी की तरफ़ से, और उसी के वसीले से और उसी के लिए सब चीज़ें हैं; उसकी बड़ाई हमेशा तक होती रहे आमीन।