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पवित्र बाइबिल - यिर्मयाह - यिर्मयाह 32

यिर्मयाह 32:33-37

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33उन्होंने मेरी ओर मुँह नहीं वरन् पीठ ही फेर दी है; यद्यपि मैं उन्हें बड़े यत्न से सिखाता आया हूँ, तो भी उन्होंने मेरी शिक्षा को नहीं माना।
34वरन् जो भवन मेरा कहलाता है, उसमें भी उन्होंने अपनी घृणित वस्तुएँ स्थापित करके उसे अशुद्ध किया है।
35उन्होंने हिन्नोमियों की तराई में बाल के ऊँचे-ऊँचे स्थान बनाकर अपने बेटे-बेटियों को मोलेक के लिये होम किया, जिसकी आज्ञा मैंने कभी नहीं दी, और न यह बात कभी मेरे मन में आई कि ऐसा घृणित काम किया जाए और जिससे यहूदी लोग पाप में फँसे।
36“परन्तु अब इस्राएल का परमेश्‍वर यहोवा इस नगर के विषय में, जिसके लिये तुम लोग कहते हो, 'वह तलवार, अकाल और मरी के द्वारा बाबेल के राजा के वश में पड़ा हुआ है' यह कहता है:
37देखो, मैं उनको उन सब देशों से जिनमें मैंने क्रोध और जलजलाहट में आकर उन्हें जबरन निकाल दिया था, लौटा ले आकर इसी नगर में इकट्ठे करूँगा, और निडर करके बसा दूँगा।

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