22और लोग पुकार उठे, “यह तो मनुष्य का नहीं ईश्वर का शब्द है।”
23उसी क्षण प्रभु के एक स्वर्गदूत ने तुरन्त उसे आघात पहुँचाया, क्योंकि उसने परमेश्वर की महिमा नहीं की और उसके शरीर में कीड़े पड़ गए और वह मर गया। (दानि. 5:20)
24परन्तु परमेश्वर का वचन बढ़ता और फैलता गया*।
25जब बरनबास और शाऊल अपनी सेवा पूरी कर चुके तो यूहन्ना को जो मरकुस कहलाता है, साथ लेकर यरूशलेम से लौटे।