9तब शाह — ए — इस्राईल ने एक सरदार को बुलाकर कहा, कि “इमला के बेटे मीकायाह को जल्द ले आ।”
10उस वक़्त शाह — ए — इस्राईल और शाह — ए — यहूदाह यहूसफ़त सामरिया के फाटक के सामने, एक खुली जगह में, अपने — अपने तख़्त पर शाहाना लिबास पहने हुए बैठे थे, और सब नबी उनके सामने पेशीनगोई कर रहे थे।
11और कन'आना के बेटे सिदक़ियाह ने अपने लिए लोहे के सींग बनाए और कहा, ख़ुदावन्द ऐसा फ़रमाता है कि “तू इन से अरामियों को मारेगा, जब तक वह मिट न जाएँ।”
12और सब नबियों ने यही पेशीनगोई की और कहा कि रामात जिल'आद पर चढ़ाई कर और कामयाब हो, क्यूँकि ख़ुदावन्द उसे बादशाह के क़ब्ज़े में कर देगा।
13और उस क़ासिद ने जो मीकायाह को बुलाने गया था उससे कहा, “देख, सब नबी एक ज़बान होकर बादशाह को ख़ुशख़बरी दे रहे हैं, तो ज़रा तेरी बात भी उनकी बात की तरह हो और तू ख़ुशख़बरी ही देना।”
14मीकायाह ने कहा, “ख़ुदावन्द की हयात की क़सम, जो कुछ ख़ुदावन्द मुझे फ़रमाए मैं वही कहूँगा।”
15इसलिए जब वह बादशाह के पास आया, तो बादशाह ने उससे कहा, “मीकायाह, हम रामात जिल'आद से लड़ने जाएँ या रहने दें?” उसने जवाब दिया, “जा और कामयाब हो, क्यूँकि ख़ुदावन्द उसे बादशाह के क़ब्ज़े में कर देगा।”
16बादशाह ने उससे कहा, मैं कितनी मर्तबा तुझे क़सम देकर कहूँ, कि “तू ख़ुदावन्द के नाम से हक़ के 'अलावा और कुछ मुझ को न बताए?”
17तब उसने कहा, मैंने सारे इस्राईल को उन भेड़ों की तरह, जिनका चौपान न हो, पहाड़ों पर बिखरा देखा; और ख़ुदावन्द ने फ़रमाया कि “इनका कोई मालिक नहीं; तब वह अपने अपने घर सलामत लौट जाएँ।”