40पस भीड़ में से कुछ ने ये बातें सुनकर कहा, “बेशक यही वो नबी है।”
41औरों ने कहा, ये मसीह है। “और कुछ ने कहा, क्यूँ? क्या मसीह गलील से आएगा?
42क्या किताब — ए — मुक़द्दस में से नहीं आया, कि मसीह दाऊद की नस्ल और बैतलहम के गाँव से आएगा, जहाँ का दाऊद था?”
43पस लोगों में उसके बारे में इख़्तिलाफ़ हुआ।
44और उनमें से कुछ उसको पकड़ना चाहते थे, मगर किसी ने उस पर हाथ न डाला।
45पस प्यादे सरदार काहिनों और फ़रीसियों के पास आए; और उन्होंने उनसे कहा, “तुम उसे क्यूँ न लाए?”
46प्यादों ने जवाब दिया कि, “इंसान ने कभी ऐसा कलाम नहीं किया।”
47फ़रीसियों ने उन्हें जवाब दिया, “क्या तुम भी गुमराह हो गए?
48भला इख़्तियार वालों या फ़रीसियों मैं से भी कोई उस पर ईमान लाया?
49मगर ये 'आम लोग जो शरी'अत से वाक़िफ़ नहीं ला'नती हैं।”
50नीकुदेमुस ने, जो पहले उसके पास आया था, उनसे कहा,
51“क्या हमारी शरी'अत किसी शख़्स को मुजरिम ठहराती है, जब तक पहले उसकी सुनकर जान न ले कि वो क्या करता है?”
52उन्होंने उसके जवाब में कहा, “क्या तू भी गलील का है? तलाश कर और देख, कि गलील में से कोई नबी नाज़िल नहीं होने का।”