5और वे देश के सात भाग लिखें, यहूदी तो दक्षिण की ओर अपने भाग में, और यूसुफ के घराने के लोग उत्तर की ओर अपने भाग में रहें।
6और तुम देश के सात भाग लिखकर मेरे पास ले आओ; और मैं यहाँ तुम्हारे लिये अपने परमेश्वर यहोवा के सामने चिट्ठी डालूँगा।
7और लेवियों का तुम्हारे मध्य में कोई भाग न होगा, क्योंकि यहोवा का दिया हुआ याजकपद ही उनका भाग है; और गाद, रूबेन, और मनश्शे के आधे गोत्र के लोग यरदन के पूर्व की ओर यहोवा के दास मूसा का दिया हुआ अपना-अपना भाग पा चुके हैं।”
8तब वे पुरुष उठकर चल दिए; और जो उस देश का हाल लिखने को चले उन्हें यहोशू ने यह आज्ञा दी, “जाकर देश में घूमो फिरो, और उसका हाल लिखकर मेरे पास लौट आओ; और मैं यहाँ शीलो में यहोवा के सामने तुम्हारे लिये चिट्ठी डालूँगा।”
9तब वे पुरुष चल दिए, और उस देश में घूमें, और उसके नगरों के सात भाग करके उनका हाल पुस्तक में लिखकर शीलो की छावनी में यहोशू के पास आए।
10तब यहोशू ने शीलो में यहोवा के सामने उनके लिये चिट्ठियाँ डालीं; और वहीं यहोशू ने इस्राएलियों को उनके भागों के अनुसार देश बाँट दिया।।
11बिन्यामीनियों के गोत्र की चिट्ठी उनके कुलों के अनुसार निकली, और उनका भाग यहूदियों और यूसुफियों के बीच में पड़ा।
12और उनकी उत्तरी सीमा यरदन से आरम्भ हुई, और यरीहो की उत्तरी ओर से चढ़ते हुए पश्चिम की ओर पहाड़ी देश में होकर बेतावेन के जंगल में निकली;
13वहाँ से वह लूज़ को पहुँची (जो बेतेल भी कहलाता है), और लूज़ की दक्षिणी ओर से होते हुए निचले बेथोरोन के दक्षिणी ओर के पहाड़ के पास हो अत्रोतदार को उतर गई।
14फिर पश्चिमी सीमा मुड़के बेथोरोन के सामने और उसकी दक्षिण ओर के पहाड़ से होते हुए किर्यतबाल नामक यहूदियों के एक नगर पर निकली (जो किर्यत्यारीम भी कहलाता है); पश्चिम की सीमा यही ठहरी।
15फिर दक्षिण की ओर की सीमा पश्चिम से आरम्भ होकर किर्यत्यारीम के सिरे से निकलकर नेप्तोह के सोते पर पहुँची;
16और उस पहाड़ के सिरे पर उतरी, जो हिन्नोम के पुत्र की तराई के सामने और रापा नामक तराई के उत्तरी ओर है; वहाँ से वह हिन्नोम की तराई में, अर्थात् यबूस के दक्षिणी ओर होकर एनरोगेल को उतरी;