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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019 - रसूलों - रसूलों 9

रसूलों 9:2-25

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2और उस से दमिश्क़ के इबादतख़ानों के लिए इस मज़्मून के ख़त माँगे कि जिनको वो इस तरीक़े पर पाए, मर्द चाहे औरत, उनको बाँधकर येरूशलेम में लाए।
3जब वो सफ़र करते करते दमिश्क़ के नज़दीक पहुँचा तो ऐसा हुआ कि यकायक आसमान से एक नूर उसके पास आ, चमका।
4और वो ज़मीन पर गिर पड़ा और ये आवाज़ सुनी “ऐ साऊल, ऐ साऊल, तू मुझे क्यूँ सताता है?”
5उस ने पूछा, “ऐ ख़ुदावन्द, तू कौन हैं?” उस ने कहा,, “मैं ईसा हूँ जिसे तू सताता है।
6मगर उठ शहर में जा, और जो तुझे करना चाहिए वो तुझसे कहा जाएगा।”
7जो आदमी उसके हमराह थे, वो ख़ामोश खड़े रह गए, क्यूँकि आवाज़ तो सुनते थे, मगर किसी को देखते न थे।
8और साऊल ज़मीन पर से उठा, लेकिन जब आँखें खोलीं तो उसको कुछ दिखाई न दिया, और लोग उसका हाथ पकड़ कर दमिश्क़ शहर में ले गए।
9और वो तीन दिन तक न देख सका, और न उसने खाया न पिया।
10दमिश्क़ में हननियाह नाम एक शागिर्द था, उस से ख़ुदावन्द ने रोया में कहा, “ऐ हननियाह” उस ने कहा, “ऐ ख़ुदावन्द, मैं हाज़िर हूँ।”
11ख़ुदावन्द ने उस से कहा, “उठ, उस गली में जा जो सीधा' कहलाता है। और यहूदाह के घर में साऊल नाम तर्सुसी शहरी को पूछ ले क्यूँकि देख वो दुआ कर रहा है।
12और उस ने हननियाह नाम एक आदमी को अन्दर आते और अपने ऊपर हाथ रखते देखा है, ताकि फिर बीना हो।”
13हननियाह ने जावाब दिया कि ऐ ख़ुदावन्द, मैं ने बहुत से लोगों से इस शख़्स का ज़िक्र सुना है, कि इस ने येरूशलेम में तेरे मुक़द्दसों के साथ कैसी कैसी बुराइयां की हैं।
14और यहाँ उसको सरदार काहिनों की तरफ़ से इख़्तियार मिला है, कि जो लोग तेरा नाम लेते हैं, उन सब को बाँध ले।
15मगर ख़ुदावन्द ने उस से कहा कि “तू जा, क्यूँकि ये क़ौमों, बादशाहों और बनी इस्राईल पर मेरा नाम ज़ाहिर करने का मेरा चुना हुआ वसीला है।
16और में उसे जता दूँगा कि उसे मेरे नाम के ख़ातिर किस क़दर दुःख उठाना पड़ेगा”
17पस हननियाह जाकर उस घर में दाख़िल हुआ और अपने हाथ उस पर रखकर कहा, “ऐ भाई शाऊल उस ख़ुदावन्द या'नी ईसा जो तुझ पर उस राह में जिस से तू आया ज़ाहिर हुआ था, उसने मुझे भेजा है, कि तू बीनाई पाए, और रूहे पाक से भर जाए।”
18और फ़ौरन उसकी आँखों से छिल्के से गिरे और वो बीना हो गया, और उठ कर बपतिस्मा लिया।
19फिर कुछ खाकर ताक़त पाई, और वो कई दिन उन शागिर्दों के साथ रहा, जो दमिश्क़ में थे।
20और फ़ौरन इबादतख़ानों में ईसा का ऐलान करने लगा, कि वो ख़ुदा का बेटा है।
21और सब सुनने वाले हैरान होकर कहने लगे कि “क्या ये वो शख़्स नहीं है, जो येरूशलेम में इस नाम के लेने वालों को तबाह करता था, और यहाँ भी इस लिए आया था, कि उनको बाँध कर सरदार काहिनों के पास ले जाए?”
22लेकिन साऊल को और भी ताक़त हासिल होती गई, और वो इस बात को साबित करके कि मसीह यही है दमिश्क़ के रहने वाले यहूदियों को हैरत दिलाता रहा।
23और जब बहुत दिन गुज़र गए, तो यहूदियों ने उसे मार डालने का मशवरा किया।
24मगर उनकी साज़िश साऊल को मालूम हो गई, वो तो उसे मार डालने के लिए रात दिन दरवाज़ों पर लगे रहे।
25लेकिन रात को उसके शागिर्दों ने उसे लेकर टोकरे में बिठाया और दीवार पर से लटका कर उतार दिया।

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