25तूने रूह — उल — क़ुद्दूस के वसीले से हमारे बाप अपने ख़ादिम दाऊद की ज़बानी फ़रमाया कि, क़ौमों ने क्यूँ धूम मचाई? और उम्मतों ने क्यूँ बातिल ख़याल किए?
26ख़ुदावन्द और उसके मसीह की मुख़ालिफ़त को ज़मीन के बादशाह उठ खड़े हुए, और सरदार जमा हो गए।’
27क्यूँकि वाक़'ई तेरे पाक ख़ादिम ईसा के बरख़िलाफ़ जिसे तूने मसह किया। हेरोदेस, और, पुनित्युस पीलातुस, ग़ैर क़ौमों और इस्राईलियों के साथ इस शहर में जमा हुए।
28ताकि जो कुछ पहले से तेरी क़ुदरत और तेरी मसलेहत से ठहर गया था, वही 'अमल में लाएँ।
29अब, ऐ ख़ुदावन्द “उनकी धमकियों को देख, और अपने बन्दों को ये तौफ़ीक़ दे, कि वो तेरा कलाम कमाल दिलेरी से सुनाएँ।
30और तू अपना हाथ शिफ़ा देने को बढ़ा और तेरे पाक ख़ादिम ईसा के नाम से मोजिज़े और अजीब काम ज़हूर में आएँ।”
31जब वो दुआ कर चुके, तो जिस मकान में जमा थे, वो हिल गया और वो सब रूह — उल — क़ुद्दूस से भर गए, और ख़ुदा का कलाम दिलेरी से सुनाते रहे।
32और ईमानदारों की जमा'अत एक दिल और एक जान थी; और किसी ने भी अपने माल को अपना न कहा, बल्कि उनकी सब चीज़ें मुश्तरका थीं।
33और रसूल बड़ी क़ुदरत से ख़ुदावन्द ईसा के जी उठने की गवाही देते रहे, और उन सब पर बड़ा फ़ज़ल था।