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पवित्र बाइबिल - भजन संहिता - भजन संहिता 52

भजन संहिता 52:2-8

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2तेरी जीभ केवल दुष्टता गढ़ती है*; सान धरे हुए उस्तरे के समान वह छल का काम करती है।
3तू भलाई से बढ़कर बुराई में, और धर्म की बात से बढ़कर झूठ से प्रीति रखता है। (सेला)
4हे छली जीभ, तू सब विनाश करनेवाली बातों से प्रसन्‍न रहती है।
5निश्चय परमेश्‍वर तुझे सदा के लिये नाश कर देगा; वह तुझे पकड़कर तेरे डेरे से निकाल देगा; और जीवितों के लोक से तुझे उखाड़ डालेगा। (सेला)
6तब धर्मी लोग इस घटना को देखकर डर जाएँगे, और यह कहकर उस पर हँसेंगे,
7“देखो, यह वही पुरुष है जिसने परमेश्‍वर को अपनी शरण नहीं माना, परन्तु अपने धन की बहुतायत पर भरोसा रखता था, और अपने को दुष्टता में दृढ़ करता रहा!”
8परन्तु मैं तो परमेश्‍वर के भवन में हरे जैतून के वृक्ष के समान हूँ*। मैंने परमेश्‍वर की करुणा पर सदा सर्वदा के लिये भरोसा रखा है।

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