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पवित्र बाइबिल - भजन संहिता - भजन संहिता 17

भजन संहिता 17:2-13

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2मेरे मुकद्दमें का निर्णय तेरे सम्मुख हो! तेरी आँखें न्याय पर लगी रहें!
3यदि तू मेरे हृदय को जाँचता; यदि तू रात को मेरा परीक्षण करता, यदि तू मुझे परखता तो कुछ भी खोटापन नहीं पाता; मेरे मुँह से अपराध की बात नहीं निकलेगी।
4मानवीय कामों में मैंने तेरे मुँह के वचनों के द्वारा* अधर्मियों के मार्ग से स्वयं को बचाए रखा।
5मेरे पाँव तेरे पथों में स्थिर रहे, फिसले नहीं।
6हे परमेश्‍वर, मैंने तुझसे प्रार्थना की है, क्योंकि तू मुझे उत्तर देगा। अपना कान मेरी ओर लगाकर मेरी विनती सुन ले।
7तू जो अपने दाहिने हाथ के द्वारा अपने शरणागतों को उनके विरोधियों से बचाता है, अपनी अद्भुत करुणा दिखा।
8अपनी आँखों की पुतली के समान सुरक्षित रख*; अपने पंखों के तले मुझे छिपा रख,
9उन दुष्टों से जो मुझ पर अत्याचार करते हैं, मेरे प्राण के शत्रुओं से जो मुझे घेरे हुए हैं।
10उन्होंने अपने हृदयों को कठोर किया है; उनके मुँह से घमण्ड की बातें निकलती हैं।
11उन्होंने पग-पग पर मुझको घेरा है; वे मुझको भूमि पर पटक देने के लिये घात लगाए हुए हैं।
12वह उस सिंह के समान है जो अपने शिकार की लालसा करता है, और जवान सिंह के समान घात लगाने के स्थानों में बैठा रहता है।
13उठ, हे यहोवा! उसका सामना कर और उसे पटक दे! अपनी तलवार के बल से मेरे प्राण को दुष्ट से बचा ले।

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