23घिनौनी स्त्री का ब्याहा जाना, और दासी का अपनी स्वामिन की वारिस होना।
24पृथ्वी पर चार छोटे जन्तु हैं, जो अत्यन्त बुद्धिमान हैं
25चींटियाँ निर्बल जाति तो हैं, परन्तु धूपकाल में अपनी भोजनवस्तु बटोरती हैं;
26चट्टानी बिज्जू बलवन्त जाति नहीं, तो भी उनकी मान्दें पहाड़ों पर होती हैं;
27टिड्डियों के राजा तो नहीं होता, तो भी वे सब की सब दल बाँध बाँधकर चलती हैं;
28और छिपकली हाथ से पकड़ी तो जाती है, तो भी राजभवनों में रहती है।
29तीन सुन्दर चलनेवाले प्राणी हैं; वरन् चार हैं, जिनकी चाल सुन्दर है:
30सिंह जो सब पशुओं में पराक्रमी है, और किसी के डर से नहीं हटता;
31शिकारी कुत्ता और बकरा, और अपनी सेना समेत राजा।
32यदि तूने अपनी बढ़ाई करने की मूर्खता की, या कोई बुरी युक्ति बाँधी हो, तो अपने मुँह पर हाथ रख।
33क्योंकि जैसे दूध के मथने से मक्खन और नाक के मरोड़ने से लहू निकलता है, वैसे ही क्रोध के भड़काने से झगड़ा उत्पन्न होता है।