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पवित्र बाइबिल - लूका - लूका 4

लूका 4:29-37

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29और उठकर उसे नगर से बाहर निकाला, और जिस पहाड़ पर उनका नगर बसा हुआ था, उसकी चोटी पर ले चले, कि उसे वहाँ से नीचे गिरा दें।
30पर वह उनके बीच में से निकलकर चला गया।।
31फिर वह गलील के कफरनहूम नगर में गया, और सब्त के दिन लोगों को उपदेश दे रहा था।
32वे उसके उपदेश से चकित हो गए क्योंकि उसका वचन अधिकार सहित था।
33आराधनालय में एक मनुष्य था, जिसमें अशुद्ध आत्मा थी।
34वह ऊँचे शब्द से चिल्ला उठा, “हे यीशु नासरी, हमें तुझ से क्या काम? क्या तू हमें नाश करने आया है? मैं तुझे जानता हूँ तू कौन है? तू परमेश्‍वर का पवित्र जन है!”
35यीशु ने उसे डाँटकर कहा, “चुप रह और उसमें से निकल जा!” तब दुष्टात्मा उसे बीच में पटककर बिना हानि पहुँचाए उसमें से निकल गई।
36इस पर सब को अचम्भा हुआ, और वे आपस में बातें करके कहने लगे, “यह कैसा वचन है? कि वह अधिकार और सामर्थ्य के साथ अशुद्ध आत्माओं को आज्ञा देता है, और वे निकल जाती हैं।”
37अतः चारों ओर हर जगह उसकी चर्चा होने लगी।

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