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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019 - रोमि - रोमि 4

रोमि 4:1-24

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1पस हम क्या कहें कि हमारे जिस्मानी बाप अब्रहाम को क्या हासिल हुआ?
2क्यूँकि अगर अब्रहाम आमाल से रास्तबाज़ ठहराया जाता तो उसको फ़ख़्र की जगह होती; लेकिन ख़ुदा के नज़दीक नहीं।
3किताब ए मुक़द्दस क्या कहती है “ये कि अब्रहाम ख़ुदा पर ईमान लाया। ये उसके लिए रास्तबाज़ी गिना गया।”
4काम करनेवाले की मज़दूरी बख़्शिश नहीं बल्कि हक़ समझी जाती है।
5मगर जो शख़्स काम नहीं करता बल्कि बेदीन के रास्तबाज़ ठहराने वाले पर ईमान लाता है उस का ईमान उसके लिए रास्तबाज़ी गिना जाता है।
6चुनाँचे जिस शख़्स के लिए ख़ुदा बग़ैर आमाल के रास्तबाज़ शुमार करता है दाऊद भी उसकी मुबारिक़ हाली इस तरह बयान करता है।
7“मुबारिक़ वो हैं जिनकी बदकारियाँ मुआफ़ हुई और जिनके गुनाह छुपाए गए।
8मुबारिक़ वो शख़्स है जिसके गुनाह ख़ुदावन्द शुमार न करेगा।”
9पस क्या ये मुबारिक़बादी मख़्तूनों ही के लिए है या नामख़्तूनों के लिए भी? क्यूँकि हमारा दावा ये है कि अब्रहाम के लिए उसका ईमान रास्तबाज़ी गिना गया।
10पस किस हालत में गिना गया? मख़्तूनी में या नामख़्तूनी में? मख़्तूनी में नहीं बल्कि नामख़्तूनी में।
11और उसने ख़तने का निशान पाया कि उस ईमान की रास्तबाज़ी पर मुहर हो जाए जो उसे नामख़्तूनी की हालत में हासिल था, वो उन सब का बाप ठहरे जो बावजूद नामख़्तून होने के ईमान लाते हैं
12और उन मख़्तूनों का बाप हो जो न सिर्फ़ मख़्तून हैं बल्कि हमारे बाप अब्रहाम के उस ईमान की भी पैरवी करते हैं जो उसे ना मख़्तूनी की हालत में हासिल था।
13क्यूँकि ये वादा किया वो कि दुनिया का वारिस होगा न अब्रहाम से न उसकी नस्ल से शरी'अत के वसीले से किया गया था बल्कि ईमान की रास्तबाज़ी के वसीले से किया गया था।
14क्यूँकि अगर शरी'अत वाले ही वारिस हों तो ईमान बेफ़ाइदा रहा और वादा से कुछ हासिल न ठहरेगा।
15क्यूँकि शरी'अत तो ग़ज़ब पैदा करती है और जहाँ शरी'अत नहीं वहाँ मुख़ालिफ़त — ए — हुक्म भी नहीं।
16इसी वास्ते वो मीरास ईमान से मिलती है ताकि फ़ज़ल के तौर पर हो; और वो वादा कुल नस्ल के लिए क़ाईम रहे सिर्फ़ उस नस्ल के लिए जो शरी'अत वाली है बल्कि उसके लिए भी जो अब्रहाम की तरह ईमान वाली है वही हम सब का बाप है।
17चुनाँचे लिखा है (“मैंने तुझे बहुत सी क़ौमों का बाप बनाया”) उस ख़ुदा के सामने जिस पर वो ईमान लाया और जो मुर्दों को ज़िन्दा करता है और जो चीज़ें नहीं हैं उन्हें इस तरह से बुला लेता है कि गोया वो हैं।
18वो ना उम्मीदी की हालत में उम्मीद के साथ ईमान लाया ताकि इस क़ौल के मुताबिक़ कि तेरी नस्ल ऐसी ही होगी “वो बहुत सी क़ौमों का बाप हो।”
19और वो जो तक़रीबन सौ बरस का था, बावजूद अपने मुर्दा से बदन और सारह के रहम की मुर्दाहालत पर लिहाज़ करने के ईमान में कमज़ोर न हुआ।
20और न बे ईमान हो कर ख़ुदा के वादे में शक किया बल्कि ईमान में मज़बूत हो कर ख़ुदा की बड़ाई की।
21और उसको कामिल ऐतिक़ाद हुआ कि जो कुछ उसने वादा किया है वो उसे पूरा करने पर भी क़ादिर है।
22इसी वजह से ये उसके लिए रास्बाज़ी गिना गया।
23और ये बात कि ईमान उस के लिए रास्तबाज़ी गिना गया; न सिर्फ़ उसके लिए लिखी गई।
24बल्कि हमारे लिए भी जिनके लिए ईमान रास्तबाज़ी गिना जाएगा इस वास्ते के हम उस पर ईमान लाए हैं जिस ने हमारे ख़ुदावन्द ईसा को मुर्दों में से जिलाया।

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