15यहोवा का यह भी वचन मेरे पास पहुँचा :
16“हे मनुष्य के सन्तान, देख, मैं तेरी आँखों की प्रिय को मारकर तेरे पास से ले लेने पर हूँ*; परन्तु न तू रोना-पीटना और न आँसू बहाना।
17लम्बी साँसें ले तो ले, परन्तु वे सुनाई न पड़ें; मरे हुओं के लिये भी विलाप न करना। सिर पर पगड़ी बाँधे और पाँवों में जूती पहने रहना; और न तो अपने होंठ को ढाँपना न शोक के योग्य रोटी खाना।”
18तब मैं सवेरे लोगों से बोला, और सांझ को मेरी स्त्री मर गई। तब सवेरे मैंने आज्ञा के अनुसार किया।