13मैंने अपने गुरूओं की बातें न मानीं और अपने सिखानेवालों की ओर ध्यान न लगाया।
14मैं सभा और मण्डली के बीच में पूर्णतः विनाश की कगार पर जा पड़ा।”
15तू अपने ही कुण्ड से पानी, और अपने ही कुएँ के सोते का जल पिया करना*।
16क्या तेरे सोतों का पानी सड़क में, और तेरे जल की धारा चौकों में बह जाने पाए?
17यह केवल तेरे ही लिये रहे, और तेरे संग अनजानों के लिये न हो।