29फिर मूसा ने सीने को लिया, और उसको हिलाने की क़ुर्बानी के तौर पर ख़ुदावन्द के सामने हिलाया। उस तख़्सीसी मेंढे में से यही मूसा का हिस्सा था, जैसा ख़ुदावन्द ने मूसा को हुक्म किया था।
30और मूसा ने मसह करने के तेल और मज़बह के ऊपर के ख़ून में से कुछ — कुछ लेकर उसे हारून और उसके लिबास पर, और साथ ही उसके बेटों पर और उनके लिबास पर छिड़का; और हारून और उसके लिबास को, और उसके बेटों को और उनके लिबास को पाक किया।
31और मूसा ने हारून और उसके बेटों से कहा कि, ये गोश्त ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के दरवाज़े पर पकाओ, और इसको वहीं उस रोटी के साथ जो तख़्सीसी टोकरी में है, खाओ, जैसा मैंने हुक्म किया है कि हारून और उसके बेटे उसे खाएँ।
32और इस गोश्त और रोटी में से जो कुछ बच रहे उसे आग में जला देना;
33और जब तक तुम्हारी तख्सीस के दिन पूरे न हों, तब तक या'नी सात दिन तक, तुम ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के दरवाज़े से बाहर न जाना; क्यूँकि सात दिन तक वह तुम्हारी तख्सीस करता रहेगा।
34जैसा आज किया गया है, वैसा ही करने का हुक्म ख़ुदावन्द ने दिया है ताकि तुम्हारे लिए कफ़्फ़ारा हो।
35इसलिए तुम ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के दरवाज़े पर सात रोज़ तक दिन रात ठहरे रहना, और ख़ुदावन्द के हुक्म को मानना, ताकि तुम मर न जाओ; क्यूँकि ऐसा ही हुक्म मुझको मिला है।