Text copied!
CopyCompare
पवित्र बाइबिल - लूका - लूका 18

लूका 18:6-14

Help us?
Click on verse(s) to share them!
6प्रभु ने कहा, “सुनो, कि यह अधर्मी न्यायी क्या कहता है?
7अतः क्या परमेश्‍वर अपने चुने हुओं का न्याय न चुकाएगा, जो रात-दिन उसकी दुहाई देते रहते; और क्या वह उनके विषय में देर करेगा?
8मैं तुम से कहता हूँ; वह तुरन्त उनका न्याय चुकाएगा; पर मनुष्य का पुत्र जब आएगा, तो क्या वह पृथ्वी पर विश्वास पाएगा?”
9और उसने उनसे जो अपने ऊपर भरोसा रखते थे, कि हम धर्मी हैं, और दूसरों को तुच्छ जानते थे, यह दृष्टान्त कहा:
10“दो मनुष्य मन्दिर में प्रार्थना करने के लिये गए; एक फरीसी था और दूसरा चुंगी लेनेवाला।
11फरीसी खड़ा होकर अपने मन में यह प्रार्थना करने लगा, ‘हे परमेश्‍वर, मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ, कि मैं और मनुष्यों के समान दुष्टता करनेवाला, अन्यायी और व्यभिचारी नहीं, और न इस चुंगी लेनेवाले के समान हूँ।
12मैं सप्ताह में दो बार उपवास करता हूँ; मैं अपनी सब कमाई का दसवाँ अंश भी देता हूँ।’
13“परन्तु चुंगी लेनेवाले ने दूर खड़े होकर, स्वर्ग की ओर आँख उठाना भी न चाहा, वरन् अपनी छाती पीट-पीट कर* कहा, ‘हे परमेश्‍वर मुझ पापी पर दया कर!’ (भज. 51:1)
14मैं तुम से कहता हूँ, कि वह दूसरा नहीं; परन्तु यही मनुष्य धर्मी ठहरा और अपने घर गया; क्योंकि जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा; और जो अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा।”

Read लूका 18लूका 18
Compare लूका 18:6-14लूका 18:6-14