10चुनाँचे लिखा है “एक भी रास्तबाज़ नहीं।
11कोई समझदार नहीं कोई ख़ुदा का तालिब नहीं।
12सब गुमराह हैं सब के सब निकम्मे बन गए; कोई भलाई करनेवाला नहीं एक भी नहीं।
13उनका गला खुली हुई क़ब्र है उन्होंने अपनी ज़बान से धोखा दिया उन के होंटों में साँपों का ज़हर है।
14उन का मुँह ला'नत और कड़वाहट से भरा है।