3कंगाल और अनाथों का न्याय चुकाओ, दीन-दरिद्र का विचार धर्म से करो।
4कंगाल और निर्धन को बचा लो; दुष्टों के हाथ से उन्हें छुड़ाओ।”
5वे न तो कुछ समझते और न कुछ जानते हैं, परन्तु अंधेरे में चलते-फिरते रहते हैं*; पृथ्वी की पूरी नींव हिल जाती है।
6मैंने कहा था “तुम ईश्वर हो, और सब के सब परमप्रधान के पुत्र हो; (यूह. 10:34)