11“परन्तु मेरी प्रजा ने मेरी न सुनी; इस्राएल ने मुझ को न चाहा।
12इसलिए मैंने उसको उसके मन के हठ पर छोड़ दिया, कि वह अपनी ही युक्तियों के अनुसार चले। (प्रेरि. 14:16,)
13यदि मेरी प्रजा मेरी सुने, यदि इस्राएल मेरे मार्गों पर चले।”
14तो मैं क्षण भर में उनके शत्रुओं को दबाऊँ, और अपना हाथ उनके द्रोहियों के विरुद्ध चलाऊँ।
15यहोवा के बैरी उसके आगे भय में दण्डवत् करे! उन्हें हमेशा के लिए अपमानित किया जाएगा।
16मैं उनको उत्तम से उत्तम गेहूँ खिलाता, और मैं चट्टान के मधु से उनको तृप्त करता।”