3मेरा प्राण भी बहुत खेदित है। और तू, हे यहोवा, कब तक? (यूह. 12:27)
4लौट आ, हे यहोवा*, और मेरे प्राण बचा; अपनी करुणा के निमित्त मेरा उद्धार कर।
5क्योंकि मृत्यु के बाद तेरा स्मरण नहीं होता; अधोलोक में कौन तेरा धन्यवाद करेगा?
6मैं कराहते-कराहते थक गया; मैं अपनी खाट आँसुओं से भिगोता हूँ; प्रति रात मेरा बिछौना भीगता है।
7मेरी आँखें शोक से बैठी जाती हैं, और मेरे सब सतानेवालों के कारण वे धुँधला गई हैं।
8हे सब अनर्थकारियों मेरे पास से दूर हो; क्योंकि यहोवा ने मेरे रोने का शब्द सुन लिया है। (मत्ती7:23, लूका 13:27)
9यहोवा ने मेरा गिड़गिड़ाना सुना है*; यहोवा मेरी प्रार्थना को ग्रहण भी करेगा।