8और वह आराधनालय में जाकर तीन महीने तक निडर होकर बोलता रहा, और परमेश्वर के राज्य के विषय में विवाद करता और समझाता रहा।
9परन्तु जब कुछ लोगों ने कठोर होकर उसकी नहीं मानी वरन् लोगों के सामने इस पंथ को बुरा कहने लगे, तो उसने उनको छोड़कर चेलों को अलग कर लिया, और प्रतिदिन तुरन्नुस की पाठशाला में वाद-विवाद किया करता था।
10दो वर्ष तक यही होता रहा, यहाँ तक कि आसिया के रहनेवाले क्या यहूदी, क्या यूनानी सब ने प्रभु का वचन सुन लिया।
11और परमेश्वर पौलुस के हाथों से सामर्थ्य के अद्भुत काम दिखाता था।
12यहाँ तक कि रूमाल और अँगोछे उसकी देह से स्पर्श कराकर बीमारों पर डालते थे, और उनकी बीमारियाँ दूर हो जाती थी; और दुष्टात्माएँ उनमें से निकल जाया करती थीं।
13परन्तु कुछ यहूदी जो झाड़ा फूँकी करते फिरते थे, यह करने लगे कि जिनमें दुष्टात्मा हों उन पर प्रभु यीशु का नाम यह कहकर फूँकने लगे, “जिस यीशु का प्रचार पौलुस करता है, मैं तुम्हें उसी की शपथ देता हूँ।”