15वह अपना हुक्म ज़मीन पर भेजता है, उसका कलाम बहुत तेज़ रौ है।
16वह बर्फ़ को ऊन की तरह गिराता है, और पाले को राख की तरह बिखेरता है।
17वह यख़ को लुक़मों की तरह फेंकता उसकी ठंड कौन सह सकता है?
18वह अपना कलाम नाज़िल करके उनको पिघला देता है; वह हवा चलाता है और पानी बहने लगता है।
19वह अपना कलाम या'क़ूब पर ज़ाहिर करता है, और अपने आईन — ओ — अहकाम इस्राईल पर।
20उसने किसी और क़ौम से ऐसा सुलूक नहीं किया; और उनके अहकाम को उन्होंने नहीं जाना। ख़ुदावन्द की हम्द करो!