13तेरी सल्तनत हमेशा की सल्तनत है, और तेरी हुकूमत नसल — दर — नसल।
14ख़ुदावन्द गिरते हुए को संभालता, और झुके हुए को उठा खड़ा करता है।
15सब की आँखें तुझ पर लगी हैं, तू उनको वक़्त पर उनकी ख़ुराक देता है।
16तू अपनी मुट्ठी खोलता है, और हर जानदार की ख़्वाहिश पूरी करता है।
17ख़ुदावन्द अपनी सब राहों में सादिक़, और अपने सब कामों में रहीम है।
18ख़ुदावन्द उन सबके क़रीब है जो उससे दुआ करते हैं, या'नी उन सबके जो सच्चाई से दुआ करते हैं।