3चुनाँचे मूसा ने ख़ुदावन्द के इरशाद के मुवाफ़िक़ फ़ारान के जंगल से ऐसे आदमी रवाना किए जो बनी — इस्राईल के सरदार थे।
4उनके यह नाम थे: रूबिन के क़बीले से ज़कूर का बेटा सम्मूअ,
5और शमौन के क़बीले से होरी का बेटा साफ़त,
6और यहूदाह के क़बीले से यफुना का बेटा कालिब,
7और इश्कार के क़बीले से युसुफ़ का बेटा इजाल,
8और इफ़्राईम के क़बीले से नून का बेटा होसे'अ,
9और बिनयमीन के क़बीले से रफू का बेटा फ़ल्ती,
10और ज़बूलून के क़बीले से सोदी का बेटा जद्दीएल,
11और यूसुफ़ के क़बीले या'नी मनस्सी के क़बीले से सूसी का बेटा जद्दी,
12और दान के क़बीले से जमल्ली का बेटा 'अम्मीएल,
13और आशर के क़बीले से मीकाएल का बेटा सतूर,
14और नफ़्ताली के क़बीले से वुफ़सी का बेटा नख़बी,
15और जद्द के क़बीले से माकी का बेटा ज्यूएल।
16यही उन लोगों के नाम हैं जिनको मूसा ने मुल्क का हाल दरियाफ़्त करने को भेजा था। और नून के बेटे होसे'अ का नाम मूसा ने यशू'अ रख्खा।
17और मूसा ने उनको रवाना किया ताकि मुल्क — ए — कना'न का हाल दरियाफ़्त करें और उनसे कहा, “तुम इधर दख्खिन की तरफ़ से जाकर पहाड़ों में चले जाना।
18और देखना कि वह मुल्क कैसा है, और जो लोग वहाँ बसे हुए हैं वह कैसे हैं, ज़ोरावर हैं या कमज़ोर और थोड़े से हैं या बहुत।
19और जिस मुल्क में वह आबाद हैं वह कैसा है, अच्छा है या बुरा; जिन शहरों में वह रहते हैं वह कैसे हैं, आया वह ख़ेमों में रहते हैं या किलों' में।
20और वहाँ की ज़मीन कैसी है, ज़रखेज़ है या बंजर और उसमें दरख़्त हैं या नहीं; तुम्हारी हिम्मत बन्धी रहे और तुम उस मुल्क का कुछ फल लेते आना।” और वह मौसम अंगूर की पहली फ़सल का था।