36और अगर सा'फ़ा उसकी जिल्द पर फैला हुआ नज़र आए तो काहिन ज़र्द बाल को न ढूँढे क्यूँकि वह शख़्स नापाक है।
37लेकिन अगर उस को सा'फ़ा अपनी जगह पर वहीं का वहीं दिखाई दे और उस पर स्याह बाल निकले हुए हों, तो सा'फ़ा अच्छा हो गया; वह शख़्स पाक है और काहिन उसे पाक क़रार दे।
38और अगर किसी मर्द या 'औरत के जिस्म की जिल्द में चमकते हुए दाग़ या सफ़ेद चमकते हुए दाग़ हों,
39तो काहिन देखे, और अगर उनके जिस्म की जिल्द के दाग स्याही माइल सफ़ेद रंग के हों, तो वह छीप है जो जिल्द में फूट निकली है; वह शख़्स पाक है।
40'और जिस शख़्स के सिर के बाल गिर गए हों, वह गंजा तो है मगर पाक है।
41और जिस शख़्स के सर के बाल पेशानी की तरफ़ से गिर गए हों, वह चँदुला तो है मगर पाक है।
42लेकिन उस गंजे या चँदले सिर पर सुर्ख़ी माइल सफ़ेद दाग़ हों, तो यह कोढ़ है जो उसके गंजे या चँदले सिर पर निकला है;
43इसलिए काहिन उसे मुलाहिज़ा करे, और अगर वह देखे कि उसके गंजे या चँदले सिर पर वह दाग़ ऐसा सुर्खी माइल सफ़ेद रंग लिए हुए है, जैसा जिल्द के कोढ़ में होता है,
44तो वह आदमी कोढ़ी है, वह नापाक है और काहिन उसे ज़रूर ही नापाक करार दे क्यूँकि वह मर्ज़ उसके सिर पर है।
45और जो कोढ़ी इस बला में मुब्तिला हो, उसके कपड़े फटे और उसके सिर के बाल बिखरे रहें, और वह अपने ऊपर के होंट को ढाँके और चिल्ला — चिल्ला कर कहे, नापाक, नापाक।
46जितने दिनों तक वह इस बला में मुब्तिला रहे, वह नापाक रहेगा और वह है भी नापाक। तब वह अकेला रहा करे, उसका मकान लश्करगाह के बाहर हो।
47'और वह कपड़ा भी जिस में कोढ़ की बला हो, चाहे वह ऊन का हो या कतान का;