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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019 - 1 सला - 1 सला 7

1 सला 7:27-42

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27और उसने पीतल की दस कुर्सियाँ बनाई, एक एक कुर्सी की लम्बाई चार हाथ और चौड़ाई चार हाथ और उँचाई तीन हाथ थी।
28और उन कुर्सियों की कारीगरी इस तरह की थीं; इनके हाशिये थे, और पटरों के दर्मियान भी हाशिये थे;
29और उन हाशियों पर जो पटरों के दर्मियान थे, शेर और बैल और करूबी बने थे; और उन पटरों पर भी एक कुर्सी ऊपर की तरफ़ थी, और शेरों और बैलों के नीचे लटकते काम के हार थे।
30और हर कुर्सी के लिए चार चार पीतल के पहिये और पीतल ही के धुरे थे, और उसके चारों पायों में टेकें लगी थीं; यह ढली हुई टेकें हौज़ के नीचे थीं, और हर एक के पहलू में हार बने थे।
31और उसका मुँह ताज के अन्दर और बाहर एक हाथ था, और वह मुँह डेढ़ हाथ था और उसका काम कुर्सी के काम की तरह गोल था; और उसी मुँह पर नक़्क़ाशी का काम था और उनके हाशिये गोल नहीं बल्कि चौकोर थे।
32और वह चारों पहिये हाशियों के नीचे थे, और पहियों के धुरे कुर्सी में लगे थे; और हर पहिये की उँचाई डेढ़ हाथ थी।
33और पहियों का काम रथ के पहिये के जैसा था, और उनके धुरे और उनकी पुठियाँ और उनके आरे और उनकी नाभें सब के सब ढाले हुए थे।
34और हर कुर्सी के चारों कोनों पर चार टेकें थीं, और टेकें और कुर्सी एक ही टुकड़े की थीं।
35और हर कुर्सी के सिरे पर आध हाथ ऊँची चारों तरफ़ गोलाई थी, और कुर्सी के सिरे की कंगनियाँ और हाशिये उसी के टुकड़े के थे।
36और उसकी कंगनियों के पाटों पर और उसके हाशियों पर उसने करूबियों और शेरों और खजूर के दरख़्तों को, हर एक की जगह के मुताबिक़ कन्दा किया, और चारों तरफ़ हार थे।
37दसों कुर्सियों को उसने इस तरह बनाया, और उन सबका एक ही साँचा और एक ही नाप और एक ही सूरत थी।
38और उसने पीतल के दस हौज़ बनाए, हर एक हौज़ में चालीस बत की समाई थी; और हर एक हौज़ चार हाथ का था; और उन दसों कुर्सियों में से हर एक पर एक हौज़ था।
39उसने पाँच कुर्सियाँ घर की दहनी तरफ़, और पाँच घर की बाई तरफ़ रखीं, और बड़े हौज़ को घर के दहने मशरिक़ की तरफ़ जुनूब के रुख़ पर रख्खा।
40हीराम ने हौज़ों और बेलचों और कटोरों को भी बनाया। इसलिए हीराम ने वह सब काम जिसे वह सुलेमान बादशाह की ख़ातिर ख़ुदावन्द के घर में बना रहा था पूरा किया;
41या'नी दोनों सुतून और सुतूनों की चोटी पर ताजों के दोनों प्याले, और सुतूनों की चोटी पर के ताजों के दोनों प्यालों की ढाँकने की दोनों जालियाँ;
42और दोनों जालियों के लिए चार सौ अनार, या'नी सुतूनों पर के ताजों के दोनों प्यालों के ढाँकने की हर जाली के लिए अनारों की दो दो क़तारें;

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