Text copied!
CopyCompare
पवित्र बाइबिल - सभोपदेशक - सभोपदेशक 8

सभोपदेशक 8:14-16

Help us?
Click on verse(s) to share them!
14एक व्यर्थ बात पृथ्वी पर होती है*, अर्थात् ऐसे धर्मी हैं जिनकी वह दशा होती है जो दुष्टों की होनी चाहिये, और ऐसे दुष्ट हैं जिनकी वह दशा होती है जो धर्मियों की होनी चाहिये। मैंने कहा कि यह भी व्यर्थ ही है।
15तब मैंने आनन्द को सराहा, क्योंकि सूर्य के नीचे मनुष्य के लिये खाने-पीने और आनन्द करने को छोड़ और कुछ भी अच्छा नहीं, क्योंकि यही उसके जीवन भर जो परमेश्‍वर उसके लिये धरती पर ठहराए, उसके परिश्रम में उसके संग बना रहेगा।
16जब मैंने बुद्धि प्राप्त करने और सब काम देखने के लिये जो पृथ्वी पर किए जाते हैं अपना मन लगाया, कि कैसे मनुष्य रात-दिन जागते रहते हैं;

Read सभोपदेशक 8सभोपदेशक 8
Compare सभोपदेशक 8:14-16सभोपदेशक 8:14-16