14एक बेकार है जो ज़मीन पर वकू' में आती है, कि नेकोकार लोग हैं जिनको वह कुछ पेश आता है जो चाहिए था कि बदकिरदारों को पेश आता; और शरीर लोग हैं जिनको वह कुछ मिलता है, जो चाहिये था कि नेकोकारों को मिलता। मैंने कहा कि ये भी बेकार है।
15तब मैंने ख़ुर्रमी की ता'रीफ़ की, क्यूँकि दुनिया' में इंसान के लिए कोई चीज़ इससे बेहतर नहीं कि खाए और पिए और ख़ुश रहे, क्यूँकि ये उसकी मेहनत के दौरान में उसकी ज़िन्दगी के तमाम दिनों में जो ख़ुदा ने दुनिया में उसे बख़्शी उसके साथ रहेगी।
16जब मैंने अपना दिल लगाया कि हिकमत सीखूँ और उस कामकाज को जो ज़मीन पर किया जाता है देखूँ क्यूँकि कोई ऐसा भी है जिसकी आँखों में न रात को नींद आती है न दिन को।