6भूमि के विश्रामकाल ही की उपज से तुमको, और तुम्हारे दास-दासी को, और तुम्हारे साथ रहनेवाले मजदूरों और परदेशियों को भी भोजन मिलेगा;
7और तुम्हारे पशुओं का और देश में जितने जीवजन्तु हों उनका भी भोजन भूमि की सब उपज से होगा।
8“सात विश्रामवर्ष, अर्थात् सातगुना सात वर्ष गिन लेना, सातों विश्रामवर्षों का यह समय उनचास वर्ष होगा।
9तब सातवें महीने के दसवें दिन को, अर्थात् प्रायश्चित के दिन, जय-जयकार के महाशब्द का नरसिंगा अपने सारे देश में सब कहीं फुँकवाना।