28पस वो येरूशलेम में उनके साथ जाता रहा।
29और दिलेरी के साथ ख़ुदावन्द के नाम का ऐलान करता था, और यूनानी माइल यहूदियों के साथ गुफ़्तगू और बहस भी करता था, मगर वो उसे मार डालने के दर पै थे।
30और भाइयों को जब ये मा'लूम हुआ, तो उसे क़ैसरिया में ले गए, और तरसुस को रवाना कर दिया।
31पस तमाम यहूदिया और गलील और सामरिया में कलीसिया को चैन हो गया और उसकी तरक़्क़ी होती गई और वो दावन्द के ख़ौफ़ और रूह — उल — क़ुद्दूस की तसल्ली पर चलती और बढ़ती जाती थी।
32और ऐसा हुआ कि पतरस हर जगह फिरता हुआ उन मुक़द्दसों के पास भी पहुँचा जो लुद्दा में रहते थे।
33वहाँ ऐनियास नाम एक मफ़्लूज को पाया जो आठ बरस से चारपाई पर पड़ा था।
34पतरस ने उस से कहा, ऐ ऐनियास, ईसा मसीह तुझे शिफ़ा देता है। उठ आप अपना बिस्तरा बिछा। वो फ़ौरन उठ खड़ा हुआ।
35तब लुद्दा और शारून के सब रहने वाले उसे देखकर ख़ुदावन्द की तरफ़ रुजू लाए।
36और याफ़ा शहर में एक शागिर्द थी, तबीता नाम जिसका तर्जुमा हरनी है, वो बहुत ही नेक काम और ख़ैरात किया करती थी।