40फिर भी तुम ज़िन्दगी पाने के लिए मेरे पास आना नहीं चाहते।
41मैं आदमियों से 'इज़्ज़त नहीं चाहता।
42लेकिन मैं तुमको जानता हूँ कि तुम में ख़ुदा की मुहब्बत नहीं।
43मैं अपने आसमानी बाप के नाम से आया हूँ और तुम मुझे क़ुबूल नहीं करते, अगर कोई और अपने ही नाम से आए तो उसे क़ुबूल कर लोगे।
44तुम जो एक दूसरे से 'इज़्ज़त चाहते हो और वो 'इज़्ज़त जो ख़ुदा — ए — वाहिद की तरफ़ से होती है नहीं चाहते, क्यूँकर ईमान ला सकते हो?