22क्यूँकि बाप किसी की 'अदालत भी नहीं करता, बल्कि उसने 'अदालत का सारा काम बेटे के सुपुर्द किया है;
23ताकि सब लोग बेटे की 'इज़्ज़त करें जिस तरह बाप की 'इज़्ज़त करते हैं। जो बेटे की 'इज़्ज़त नहीं करता, वो बाप की जिसने उसे भेजा 'इज़्ज़त नहीं करता।
24मैं तुम से सच कहता हूँ कि जो मेरा कलाम सुनता और मेरे भेजने वाले का यक़ीन करता है, हमेशा की ज़िन्दगी उसकी है और उस पर सज़ा का हुक्म नहीं होता बल्कि वो मौत से निकलकर ज़िन्दगी में दाख़िल हो गया है।”
25“मैं तुम से सच सच कहता हूँ कि वो वक़्त आता है बल्कि अभी है, कि मुर्दे ख़ुदा के बेटे की आवाज़ सुनेंगे और जो सुनेंगे वो जिएँगे।
26क्यूँकि जिस तरह बाप अपने आप में ज़िन्दगी रखता है, उसी तरह उसने बेटे को भी ये बख़्शा कि अपने आप में ज़िन्दगी रख्खे।
27बल्कि उसे 'अदालत करने का भी इख़्तियार बख़्शा, इसलिए कि वो आदमज़ाद है।