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पवित्र बाइबिल - मरकुस - मरकुस 6

मरकुस 6:30-37

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30प्रेरितों ने यीशु के पास इकट्ठे होकर, जो कुछ उन्होंने किया, और सिखाया था, सब उसको बता दिया।
31उसने उनसे कहा, “तुम आप अलग किसी एकान्त स्थान में आकर थोड़ा विश्राम करो।” क्योंकि बहुत लोग आते जाते थे, और उन्हें खाने का अवसर भी नहीं मिलता था।
32इसलिए वे नाव पर चढ़कर, सुनसान जगह में अलग चले गए।
33और बहुतों ने उन्हें जाते देखकर पहचान लिया, और सब नगरों से इकट्ठे होकर वहाँ पैदल दौड़े और उनसे पहले जा पहुँचे।
34उसने उतर कर बड़ी भीड़ देखी, और उन पर तरस खाया, क्योंकि वे उन भेड़ों के समान थे, जिनका कोई रखवाला न हो; और वह उन्हें बहुत सी बातें सिखाने लगा। (2 इति. 18:16, 1 राजा. 22:17)
35जब दिन बहुत ढल गया, तो उसके चेले उसके पास आकर कहने लगे, “यह सुनसान जगह है, और दिन बहुत ढल गया है।
36उन्हें विदा कर, कि चारों ओर के गाँवों और बस्तियों में जाकर, अपने लिये कुछ खाने को मोल लें।”
37उसने उन्हें उत्तर दिया, “तुम ही उन्हें खाने को दो।” उन्होंने उससे कहा, “क्या हम दो सौ दीनार की रोटियाँ मोल लें, और उन्हें खिलाएँ?”

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