2हे पृथ्वी के न्यायी, उठ; और घमण्डियों को बदला दे!
3हे यहोवा, दुष्ट लोग कब तक, दुष्ट लोग कब तक डींग मारते रहेंगे?
4वे बकते और ढिठाई की बातें बोलते हैं, सब अनर्थकारी बड़ाई मारते हैं।
5हे यहोवा, वे तेरी प्रजा को पीस डालते हैं, वे तेरे निज भाग को दुःख देते हैं।
6वे विधवा और परदेशी का घात करते, और अनाथों को मार डालते हैं;