2वह तेरी प्रजा का न्याय धर्म से, और तेरे दीन लोगों का न्याय ठीक-ठीक चुकाएगा। (मत्ती25:31-34, प्रेरि. 17:31, रोम. 14:10, 2 कुरि. 5:10)
3पहाड़ों और पहाड़ियों से प्रजा के लिये, धर्म के द्वारा शान्ति मिला करेगी
4वह प्रजा के दीन लोगों का न्याय करेगा, और दरिद्र लोगों को बचाएगा; और अत्याचार करनेवालों को चूर करेगा*। (यह. 11:4)
5जब तक सूर्य और चन्द्रमा बने रहेंगे तब तक लोग पीढ़ी-पीढ़ी तेरा भय मानते रहेंगे।
6वह घास की खूँटी पर बरसने वाले मेंह, और भूमि सींचने वाली झड़ियों के समान होगा।
7उसके दिनों में धर्मी फूले फलेंगे, और जब तक चन्द्रमा बना रहेगा, तब तक शान्ति बहुत रहेगी।
8वह समुद्र से समुद्र तक और महानद से पृथ्वी की छोर तक प्रभुता करेगा।
9उसके सामने जंगल के रहनेवाले घुटने टेकेंगे, और उसके शत्रु मिट्टी चाटेंगे।
10तर्शीश और द्वीप-द्वीप के राजा भेंट ले आएँगे, शेबा और सबा दोनों के राजा उपहार पहुँचाएगे।