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पवित्र बाइबिल - भजन संहिता - भजन संहिता 68

भजन संहिता 68:6-32

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6परमेश्‍वर अनाथों का घर बसाता है; और बन्दियों को छुड़ाकर सम्पन्न करता है; परन्तु विद्रोहियों को सूखी भूमि पर रहना पड़ता है।
7हे परमेश्‍वर, जब तू अपनी प्रजा के आगे-आगे चलता था, जब तू निर्जल भूमि में सेना समेत चला, (सेला)
8तब पृथ्वी काँप उठी, और आकाश भी परमेश्‍वर के सामने टपकने लगा, उधर सीनै पर्वत परमेश्‍वर, हाँ इस्राएल के परमेश्‍वर के सामने काँप उठा। (इब्रा. 12:26, न्या 5:4-5)
9हे परमेश्‍वर, तूने बहुतायत की वर्षा की; तेरा निज भाग तो बहुत सूखा था, परन्तु तूने उसको हरा-भरा किया है;
10तेरा झुण्ड उसमें बसने लगा; हे परमेश्‍वर तूने अपनी भलाई से दीन जन के लिये तैयारी की है।
11प्रभु आज्ञा देता है, तब शुभ समाचार सुनानेवालियों की बड़ी सेना हो जाती है।
12अपनी-अपनी सेना समेत राजा भागे चले जाते हैं, और गृहस्थिन लूट को बाँट लेती है।
13क्या तुम भेड़शालों के बीच लेट जाओगे? और ऐसी कबूतरी के समान होंगे जिसके पंख चाँदी से और जिसके पर पीले सोने से मढ़े हुए हों?
14जब सर्वशक्तिमान ने उसमें राजाओं को तितर-बितर किया, तब मानो सल्मोन पर्वत पर हिम पड़ा।
15बाशान का पहाड़ परमेश्‍वर का पहाड़ है; बाशान का पहाड़ बहुत शिखरवाला पहाड़ है।
16परन्तु हे शिखरवाले पहाड़ों, तुम क्यों उस पर्वत को घूरते हो, जिसे परमेश्‍वर ने अपने वास के लिये चाहा है, और जहाँ यहोवा सदा वास किए रहेगा?
17परमेश्‍वर के रथ बीस हजार, वरन् हजारों हजार हैं; प्रभु उनके बीच में है, जैसे वह सीनै पवित्रस्‍थान में है।
18तू ऊँचे पर चढ़ा, तू लोगों को बँधुवाई में ले गया; तूने मनुष्यों से, वरन् हठीले मनुष्यों से भी भेंटें लीं, जिससे यहोवा परमेश्‍वर उनमें वास करे। (इफि. 4:8)
19धन्य है प्रभु, जो प्रतिदिन हमारा बोझ उठाता है; वही हमारा उद्धारकर्ता परमेश्‍वर है। (सेला)
20वही हमारे लिये बचानेवाला परमेश्‍वर ठहरा; यहोवा प्रभु मृत्यु से भी बचाता है*।
21निश्चय परमेश्‍वर अपने शत्रुओं के सिर पर, और जो अधर्म के मार्ग पर चलता रहता है, उसका बाल भरी खोपड़ी पर मार-मार के उसे चूर करेगा।
22प्रभु ने कहा है, “मैं उन्हें बाशान से निकाल लाऊँगा, मैं उनको गहरे सागर के तल से भी फेर ले आऊँगा,
23कि तू अपने पाँव को लहू में डुबोए, और तेरे शत्रु तेरे कुत्तों का भाग ठहरें।”
24हे परमेश्‍वर तेरी शोभा-यात्राएँ देखी गई, मेरे परमेश्‍वर और राजा की शोभा यात्रा पवित्र स्थान में जाते हुए देखी गई।
25गानेवाले आगे-आगे और तारवाले बाजों के बजानेवाले पीछे-पीछे गए, चारों ओर कुमारियाँ डफ बजाती थीं।
26सभाओं में परमेश्‍वर का, हे इस्राएल के सोते से निकले हुए लोगों, प्रभु का धन्यवाद करो।
27पहला बिन्यामीन जो सब से छोटा गोत्र है, फिर यहूदा के हाकिम और उनकी सभा और जबूलून और नप्ताली के हाकिम हैं।
28तेरे परमेश्‍वर ने तेरी सामर्थ्य को बनाया है, हे परमेश्‍वर, अपनी सामर्थ्य को हम पर प्रकट कर, जैसा तूने पहले प्रकट किया है।
29तेरे मन्दिर के कारण जो यरूशलेम में हैं, राजा तेरे लिये भेंट ले आएँगे।
30नरकटों में रहनेवाले जंगली पशुओं को, सांडों के झुण्ड को और देश-देश के बछड़ों को झिड़क दे। वे चाँदी के टुकड़े लिये हुए प्रणाम करेंगे; जो लोगे युद्ध से प्रसन्‍न रहते हैं, उनको उसने तितर-बितर किया है।
31मिस्र से अधिकारी आएँगे; कूशी अपने हाथों को परमेश्‍वर की ओर फुर्ती से फैलाएँगे।
32हे पृथ्वी पर के राज्य-राज्य के लोगों परमेश्‍वर का गीत गाओ; प्रभु का भजन गाओ, (सेला)

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