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पवित्र बाइबिल - भजन संहिता - भजन संहिता 46

भजन संहिता 46:4-10

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4एक नदी है जिसकी नहरों से परमेश्‍वर के नगर में अर्थात् परमप्रधान के पवित्र निवास भवन में आनन्द होता है।
5परमेश्‍वर उस नगर के बीच में है, वह कभी टलने का नहीं; पौ फटते ही परमेश्‍वर उसकी सहायता करता है।
6जाति-जाति के लोग झल्ला उठे, राज्य-राज्य के लोग डगमगाने लगे; वह बोल उठा, और पृथ्वी पिघल गई। (प्रका. 11:18, भज. 2:1)
7सेनाओं का यहोवा हमारे संग है; याकूब का परमेश्‍वर हमारा ऊँचा गढ़ है। (सेला)
8आओ, यहोवा के महाकर्म देखो, कि उसने पृथ्वी पर कैसा-कैसा उजाड़ किया है।
9वह पृथ्वी की छोर तक लड़ाइयों को मिटाता है; वह धनुष को तोड़ता, और भाले को दो टुकड़े कर डालता है, और रथों को आग में झोंक देता है!
10“चुप हो जाओ, और जान लो कि मैं ही परमेश्‍वर हूँ। मैं जातियों में महान हूँ, मैं पृथ्वी भर में महान हूँ!”

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