11यहोवा की योजना सर्वदा स्थिर रहेगी, उसके मन की कल्पनाएँ पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहेंगी।
12क्या ही धन्य है वह जाति जिसका परमेश्वर यहोवा है, और वह समाज जिसे उसने अपना निज भाग होने के लिये चुन लिया हो!
13यहोवा स्वर्ग से दृष्टि करता है, वह सब मनुष्यों को निहारता है;
14अपने निवास के स्थान से वह पृथ्वी के सब रहनेवालों को देखता है,
15वही जो उन सभी के हृदयों को गढ़ता, और उनके सब कामों का विचार करता है।