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पवित्र बाइबिल - भजन संहिता - भजन संहिता 139

भजन संहिता 139:5-14

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5तूने मुझे आगे-पीछे घेर रखा है*, और अपना हाथ मुझ पर रखे रहता है।
6यह ज्ञान मेरे लिये बहुत कठिन है; यह गम्भीर और मेरी समझ से बाहर है।
7मैं तेरे आत्मा से भागकर किधर जाऊँ? या तेरे सामने से किधर भागूँ?
8यदि मैं आकाश पर चढ़ूँ, तो तू वहाँ है! यदि मैं अपना खाट अधोलोक में बिछाऊँ तो वहाँ भी तू है!
9यदि मैं भोर की किरणों पर चढ़कर समुद्र के पार जा बसूँ,
10तो वहाँ भी तू अपने हाथ से मेरी अगुआई करेगा, और अपने दाहिने हाथ से मुझे पकड़े रहेगा।
11यदि मैं कहूँ कि अंधकार में तो मैं छिप जाऊँगा, और मेरे चारों ओर का उजियाला रात का अंधेरा हो जाएगा,
12तो भी अंधकार तुझ से न छिपाएगा, रात तो दिन के तुल्य प्रकाश देगी; क्योंकि तेरे लिये अंधियारा और उजियाला दोनों एक समान हैं।
13तूने मेरे अंदरूनी अंगों को बनाया है; तूने मुझे माता के गर्भ में रचा।
14मैं तेरा धन्यवाद करूँगा, इसलिए कि मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूँ। तेरे काम तो आश्चर्य के हैं, और मैं इसे भली भाँति जानता हूँ। (प्रका. 15:3)

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