9कौन कह सकता है कि मैंने अपने हृदय को पवित्र किया; अथवा मैं पाप से शुद्ध हुआ हूँ?
10घटते-बढ़ते बटखरे और घटते-बढ़ते नपुए इन दोनों से यहोवा घृणा करता है।
11लड़का भी अपने कामों से पहचाना जाता है, कि उसका काम पवित्र और सीधा है, या नहीं।
12सुनने के लिये कान और देखने के लिये जो *आँखें हैं, उन दोनों को यहोवा ने बनाया है।
13नींद से प्रीति न रख, नहीं तो दरिद्र हो जाएगा; आँखें खोल* तब तू रोटी से तृप्त होगा।