41और वह फिर ख़ुदा को आज़माने लगे और उन्होंने इस्राईल के ख़ुदा को नाराज़ किया।
42उन्होंने उसके हाथ को याद न रखा, न उस दिन की जब उसने फ़िदिया देकर उनको मुख़ालिफ़ से रिहाई बख़्शी।
43उसने मिस्र में अपने निशान दिखाए, और जुअन के 'इलाके में अपने अजायब।
44और उनके दरियाओं को खू़न बना दिया और वह अपनी नदियों से पी न सके।
45उसने उन पर मच्छरों के ग़ोल भेजे जो उनको खा गए और मेंढ़क जिन्होंने उनको तबाह कर दिया।
46उसने उनकी पैदावार कीड़ों को और उनकी मेहनत का फल टिड्डियों को दे दिया।
47उसने उनकी ताकों को ओलों से और उनके गूलर के दरख़्तों को पाले से मारा।