12शरीर रास्तबाज़ के ख़िलाफ़ बन्दिशें बाँधता है, और उस पर दाँत पीसता है;
13ख़ुदावन्द उस पर हंसेगा, क्यूँकि वह देखता है कि उसका दिनआता है।
14शरीरों ने तलवार निकाली और कमान खींची है, ताकि ग़रीब और मुहताज को गिरा दें, और रास्तरों को क़त्ल करें।
15उनकी तलवार उन ही के दिल को छेदेगी, और उनकी कमानें तोड़ी जाएँगी।
16सादिक़ का थोड़ा सा माल, बहुत से शरीरों की दौलत से बेहतर है।
17क्यूँकि शरीरों के बाज़ू तोड़े जाएँगे, लेकिन ख़ुदावन्द सादिकों को संभालता है।