13'और जब जिरयान के मरीज़ को शिफ़ा हो जाए, तो वह अपने पाक ठहरने के लिए सात दिन गिने; इस के बाद वह अपने कपड़े धोए और बहते हुए पानी में नहाए तब वह पाक होगा।
14और आठवें दिन दो कुमरियाँ या कबूतर के दो बच्चे लेकर वह ख़ुदावन्द के सामने ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के दरवाज़े पर जाए, और उन को काहिन के हवाले करे;
15और काहिन एक को ख़ता की क़ुर्बानी के लिए, और दूसरे को सोख़्तनी क़ुर्बानी के लिए पेश करे। यूँ काहिन उसके लिए उसके जिरयान की वजह से ख़ुदावन्द के सामने कफ़्फ़ारा दे।
16'और अगर किसी मर्द की धात बहती हो, तो वह पानी में नहाए और शाम तक नापाक रहे।
17और जिस कपड़े या चमड़े पर नुत्फ़ा लग जाए, वह कपड़ा या चमड़ा पानी से धोया जाए और शाम तक नापाक रहे।
18और वह 'औरत भी जिसके साथ मर्द सुहबत करे और मुन्ज़िल हो, तो वह दोनों पानी से ग़ुस्ल करें और शाम तक नापाक रहे।
19'और अगर किसी 'औरत को ऐसा जिरयान हो कि उसे हैज़ का ख़ून आए, तो वह सात दिन तक नापाक रहेगी, और जो कोई उसे छुए वह शाम तक नापाक रहेगा।
20और जिस चीज़ पर वह अपनी नापाकी की हालत में सोए वह चीज़ नापाक होगी, और जिस चीज़ पर बैठे वह भी नापाक हो जाएगी।
21और जो कोई उसके बिस्तर को छुए, वह अपने कपड़े धोए और पानी से ग़ुस्ल करे और शाम तक नापाक रहे।
22और जो कोई उस चीज़ को जिस पर वह बैठी हो छुए, वह अपने कपड़े धोए और पानी से नहाए और शाम तक नापाक रहे।
23और अगर उसका ख़ून उसके बिस्तर पर या जिस चीज़ पर वह बैठी हो उस पर लगा हुआ हो और उस वक़्त कोई उस चीज़ को छुए, तो वह शाम तक नापाक रहे।
24और अगर मर्द उसके साथ सुहबत करे और उसके हैज़ का ख़ून उसे लग जाए, तो वह सात दिन तक नापाक रहेगा और हर एक बिस्तर जिस पर वह मर्द सोएगा नापाक होगा।
25'और अगर किसी 'औरत को हैज़ के दिन को छोड़कर यूँ बहुत दिनों तक ख़ून आए या हैज़ की मुद्दत गुज़र जाने पर भी ख़ून जारी रहे, तो जब तक उस को यह मैला ख़ून आता रहेगा तब तक वह ऐसी ही रहेगी जैसी हैज़ के दिनों में रहती है, वह नापाक है।