18लेकिन सादिक़ों की राह सुबह की रोशनी की तरह है, जिसकी रोशनी दो पहर तक बढ़ती ही जाती है।
19शरीरों की राह तारीकी की तरह है; वह नहीं जानते कि किन चीज़ों से उनको ठोकर लगती है।
20ऐ मेरे बेटे, मेरी बातों पर तवज्जुह कर, मेरे कलाम पर कान लगा।
21उसको अपनी आँख से ओझल न होने दे, उसको अपने दिल में रख।
22क्यूँकि जो इसको पा लेते हैं, यह उनकी ज़िन्दगी, और उनके सारे जिस्म की सिहत है।
23अपने दिल की खू़ब हिफ़ाज़त कर; क्यूँकि ज़िन्दगी का सर चश्मा वही हैं।
24कजगो मुँह तुझ से अलग रहे, दरोग़गो लब तुझ से दूर हों।
25तेरी आँखें सामने ही नज़र करें, और तेरी पलके सीधी रहें।
26अपने पाँव के रास्ते को हमवार बना, और तेरी सब राहें क़ाईम रहें।