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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019 - अम्सा - अम्सा 31

अम्सा 31:17-22

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17वह मज़बूती से अपनी कमर बाँधती है, और अपने बाज़ुओं को मज़बूत करती है।
18वह अपनी सौदागरी को सूदमंद पाती है। रात को उसका चिराग़ नहीं बुझता।
19वह तकले पर अपने हाथ चलाती है, और उसके हाथ अटेरन पकड़ते हैं।
20वह ग़रीबों की तरफ़ अपना हाथ बढ़ाती है, हाँ, वह अपने हाथ मोहताजों की तरफ़ बढ़ाती है।
21वह अपने घराने के लिए बर्फ़ से नहीं डरती, क्यूँकि उसके ख़ान्दान में हर एक सुर्ख पोश है।
22वह अपने लिए निगारीन बाला पोश बनाती है; उसकी पोशाक महीन कतानी और अर्गवानी है।

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