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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019 - अम्सा - अम्सा 2

अम्सा 2:1-17

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1ऐ मेरे बेटे, अगर तू मेरी बातों को क़ुबूल करे, और मेरे फ़रमान को निगाह में रख्खे,
2ऐसा कि तू हिकमत की तरफ़ कान लगाए, और समझ से दिल लगाए,
3बल्कि अगर तू 'अक़्ल को पुकारे, और समझ के लिए आवाज़ बलन्द करे
4और उसको ऐसा ढूँढे जैसे चाँदी को, और उसकी ऐसी तलाश करे जैसी पोशीदा ख़ज़ानों की;
5तो तू ख़ुदावन्द के ख़ौफ़ को समझेगा, और ख़ुदा के ज़रिए' को हासिल करेगा।
6क्यूँकि ख़ुदावन्द हिकमत बख़्शता है; 'इल्म — ओ — समझ उसी के मुँह से निकलते हैं।
7वह रास्तबाज़ों के लिए मदद तैयार रखता है, और रास्तरौ के लिए सिपर है।
8ताकि वह 'अद्ल की राहों की निगहबानी करे, और अपने मुक़द्दसों की राह को महफ़ूज़ रख्खे।
9तब तू सदाक़त और 'अद्ल और रास्ती को, बल्कि हर एक अच्छी राह को समझेगा।
10क्यूँकि हिकमत तेरे दिल में दाख़िल होगी, और 'इल्म तेरी जान को पसंद होगा,
11तमीज़ तेरी निगहबान होगी, समझ तेरी हिफ़ाज़त करेगा;
12ताकि तुझे शरीर की राह से, और कजगो से बचाएँ।
13जो रास्तबाज़ी की राह को छोड़ते हैं, ताकि तारीकी की राहों में चलें,
14जो बदकारी से ख़ुश होते हैं, और शरारत की कजरवी में खु़श रहते हैं,
15जिनका चाल चलन ना हमवार, और जिनकी राहें टेढ़ी हैं।
16ताकि तुझे बेगाना 'औरत से बचाएँ, या'नी चिकनी चुपड़ी बातें करने वाली पराई 'औरत से,
17जो अपनी जवानी के साथी को छोड़ देती है, और अपने ख़ुदा के 'अहद को भूल जाती है।

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